मेजिस्ट्रेट और कलेक्टर Henry Valentine Conolly का क़त्ल कर दिया था।
11 सितम्बर 1855 को कलेक्टर के बंगले West Hill Bungalow Calicut (India) में घुस कर मोपिला विद्रोहियों ने उस समय अंग्रेज़ों द्वारा मालबार के न्युक्त किए गए मेजिस्ट्रेट और कलेक्टर Henry Valentine Conolly का क़त्ल कर दिया था।
Henry Valentine Conolly मशहूर ब्रिटिश कैप्टन आर्थर कैनोली का भाई था जो 5 December 1806 को London मे पैदा हुआ था।
जेल से भागे मोपिला विद्रोहियों ने उसे इसलिए मारा क्योंकि उसने ही धार्मिक गुरु सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल को देश-निकाल बाहर करने का सुझाव दिया था।
इस सुनियोजित क़त्ल के बाद मोपिला विद्रोहियों को गोलियो से छलनी करने का हुक्म जारी किया गया और 17 September 1855 को Calicut के पास ही गोलियो से भुना दिया गया।
अब सवाल ये उठता है आख़िर सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल चीज़ क्या थे ? जिन्हे मुल्क बदर करने के जुर्म में उनके चाहने वालों ने अंग्रेज़ अफ़सर तक को मार दिया।
सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल 1820 में पैदा हुए यमनी मुल के भारतीय नागरिक थे। वो एक धार्मिक गुरु थे। उनके वालिद का नाम सैयद अलवी अल हुसैनी थंगाल था और मां का फ़ातिमा बीबी। शुरुआती तालीम वालिद से ही हासिल की और फिर उनके साथियों से हदीस, फ़िकह और ज़ुबान की तालीम हासिल की। चुंके उनके वालिद ख़ुद मोपिला लोगों के धार्मिक और सियासी लीडर थे इस लिए सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल को भी ये विरासत में मिल गया।
1845 मे अपने वालिद के मौत के बाद फ़जल मक्का गए और पढ़ाई मुकम्मल कर 1848 मे वापस मालबार लौट आए।
अपने वालिद के मौत से पहले 1840 में जब फ़ज़ल 20 साल के थे तो उन्होने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ चल रहे जद्दोजेहद मे खुल कर हिस्सा लिया था।
उस समय Mamburma में कोई भी जामा मस्जिद नही थी, तब फ़ज़ल ने एक मस्जिद तामीर करवाई और जुमा के ख़ुत्बे में खुल कर मालबार के मौजुदा हालात पर अपनी बात रखते, ख़ुत्बे में इस्लामी तालीम के इलावा खुल कर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जद्दोजेहद करने के लिए लोगो को प्रेरित करते। इस चीज़ की भनक अंग्रेज़ों को लग गई और उन्होने इस बात की जांच भी की।
1848 मे मक्का से पढ़ाई मुकम्मल कर वापस मालबार लौट फ़ज़ल ने मोपिला लोगों की क़ियादत की और अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जद्दोजेहद मे जुट गए। उन्होने अंग्रेज़ों के साथ साथ अंग्रेज़ प्रस्त ज़मीनदारो का भी विरोध किया।
1849 में Manjeri में बग़ावत शुरु हुई वैसे Manjeri में 1844 मे भी बग़वत हो चुका था, पर मक्का से लौटे फ़ज़ल की क़यादत में होने वाली ये पहली बग़ावत थी। जो यहां के चार इलाक़े Pandhallor, Pandikode , Manjeri और Angandipuram को अपने ज़द मे ले रखा था। हसन मोहिउद्दीन की सरप्रस्ती में 65 मोपिला बाग़ी शुरु में तो अंग्रेज़ों पर भारी पड़े पर बाद में अंग्रेज़ों ने सभी बाग़ी को क़त्ल कर दिया।
22 अगस्त 1851 को एक बार फिर Kulathur में बग़ावत शुरु हो जाती है और मोपिला बाग़ी के हांथो कई ज़मीनदार मार दिए जाते हैं। 27 अगस्त को अंग्रेज़ों की फ़ौज इस बग़ावत को कुचल देती है जिसका ज़िक्र William Logan ने Malabar Manual में भी किया है।
2 जनवरी 1852 को फ़ज़ल द्वारा बग़ावत का आख़री बिगुल Mattannur में फुंका जिसके बाद अंग्रेज़ों ने उन्हे मुल्क बदर कर दिया गया। हुआ कुछ युं के Keshavu Abrahan नाम के अंग्रेज़ प्रस्त ज़मींनदार ने अपने अंदर काम करने वाले किसानो पर लगान बढ़ा दिया, जिसके नतीजे में बग़ावत हुआ और ज़मींनदार मारा गया। ये उत्तरी मालबार में होने वाला पहला बग़ावत था। इसके बाद अंग्रेज़ों ने कड़ी कारवाई करते हुए कई बाग़ीयों को क़त्ल कर दिया और फ़ज़ल को गिरफ़्तार कर लिया और उन पर कई तरह के इलज़ाम लगाए गए।
19 मार्च 1852 को सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल अपने 57 रिश्तेदार के साथ मुल्क बदर कर अरब भेज दिए गए।
सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल को मुल्क बदर करने मे जिस शख़्स का सबसे बड़ा हाथ था, वो ब्रिटिश कलेक्टर Henry Valentine Conolly था।
अपने रहबर और साथियों की गिरफ़्तारी का बदला लेने के लिए ही मोपिला विद्रोहियों ने ब्रिटिश कलेक्टर Henry Valentine Conolly को सुनियोजित तरीक़े से क़त्ल कर दिया था।
किसी सुनियोजित तऱीके से किसी अंग्रेज़ अधिकारी की यह संभवतः दुसरी हत्या थी. इससे पहले 1835 मे मेवात के नवाब शमसुद्दीन और करीम ख़ान ने एक बहन की आबरु की हिफ़ाज़त के लिए दिल्ली में अंग्रेज़ों का रेजिडेंट विलियम फ्रेज़र का क़त्ल कर दिया था जिसके लिए 3 अक्टूबर 1835 में करीम ख़ान और 7 अक्टूबर 1835 को नवाब शमशुद्दीन ख़ान को दिल्ली गेट पर फाँसी पर लटकाया गया।
सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल कई बार वापस मालबार (हिन्दुस्तान) आने की कोशिश की पर नाकाम रहे, पहली कोशिश 1855 में उस्मानी सुल्तान Abdülmecid I की मदद से की पर नाकाम रहे और 1901 तक करते रहे, यहां तक के उनकी मौत भी इस्तांबुल
में हो गई। जिसके बाद उस्मानी सुल्तान Abdülhamid II ने सैयद फ़ज़ल बोकोई थंगाल का मक़बरा बनवाने का हुक्म दिया था।
No comments